सूचनाएं हमेशा से हथियार के रूप में काम करती रही हैं, इसके अनेक उदाहरण मिलते हैं। समाचार भी हथियारों की तरह उपयोग में लाए जाते रहे हैं, इसके भी अनेक उदाहरण मिलते हैं, लेकिन पहली बार दुनिया में मौसम समाचार ने हथियार के रूप में काम किया है । मौसम समाचार को भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए और जम्मू-कश्मीर के गिलगित-बाल्तीस्तान के हिस्से पर अपने नैसर्गिक दावे के लिए उपयोग किया है और यह काफी प्रभावी सिद्ध हुआ है।
भारतीय मौसम विभाग द्वारा 7 मई को अपने मौसम पूर्वानुमानों में पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर के मुजफ्फराबाद जिले एवं पाकिस्तान अधिक्रांत लद्दाख क्षेत्र के गिलगित, बाल्टिस्तान को भी शामिल किया गया। तब से प्रतिदिन डीडी न्यूज अपने मौसम की रिपोर्ट कार्यक्रम में इन क्षेत्रों के तापमान को भी निरंतर दिखा रहा है। समाचार चैनलों द्वारा दिखाए जाने वाला यह मौसम पूर्वानुमान केवल गिलगित, बाल्टिस्तान एवं मुजफराबाद का तापमान नहीं दिखा रहा है, बल्कि भारत के वर्तमान मौसम का भी इससे साफ पता चल रहा है।
यह क्षेत्र भारत के संविधान और पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के संविधान के अनुसार भी भारत का अभिन्न एवं अविभाज्य अंग है। भारत से अंग्रेजी शासन समाप्त होने के समय महाराजा हरि सिंह के भारत प्रेम और पाकिस्तान में अधिमिलन न करने की प्रत्याशा के चलते पाकिस्तान ने राज्य पर हमला किया और जबरन कुछ हिस्सा कब्जा लिया, जो आज भी अवैध रूप से उसके अधीन है। अपने इस क्षेत्र को वापस लेने का विचार भारत के मन में काफी समय से है।
इस हेतु 22 फरवरी 1994 में भारत की संसद ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर एक संकल्प लिया। वह संकल्प था पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर का जो क्षेत्र पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है, उसे आजाद करा पुनः भारत में मिलाना। इसका अर्थ है आज के केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर का मुजफ्फराबाद जिला एवं केंद्र शासित लद्दाख के गिलगित एवं बाल्टिस्तान क्षेत्र को पाकिस्तान के अवैध कब्जे से स्वतंत्र करा पुनः भारत में मिलाना। भारत की संसद का यह संकल्प पूरे भारत का संकल्प था।
लेकिन इतने वर्षों में इस क्षेत्र को पुनः भारत में या भारत के चित में लाने के लिए कोई ठोस कदम भारत द्वारा नहीं उठाए गए। साथ ही भारत की मीडिया ने भी इस क्षेत्र को अपनी रिपोर्टिंग से दूर ही रखा। जिस कारण भारतीय मानस से यह क्षेत्र एक तरह से लुप्त हो गया था। पाकिस्तान के अवैध कब्जे में जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख का एक बड़ा हिस्सा है, इसका तो थोड़ा आभास हमें था, लेकिन वह कहां है, कैसा है और किस क्षेत्र में है इसकी जानकारी बहुत कम थी। किसी भी संकल्प को पूर्ण करने के लिए उसके बारे में बार-बार सोचना और उसे अपने चित में सदैव जीवित रखना आवश्यक है। भले ही उसे पाने में सैंकड़ों वर्ष लग जाएं, पर चित्त में वह निरंतर रहना चाहिए।
आज बहुत वर्षों बाद भारतीय मौसम विभाग ने इस क्षेत्र को भारत के मौसम पूर्वानुमान में सम्मिलित करके भारतीय मानस में इसे पुनः जीवित कर दिया है। अब इसे चेतन रखने का कार्य भारतीय मीडिया ही कर सकता है, जो कई कारणों से लम्बे समय से इस क्षेत्र को भूला बैठा है। डीडी न्यूज द्वारा रोजाना इस क्षेत्र के तापमान को निरंतर दिखाना इस चेतना को सजीव रखने का कार्य कर रहा है।
यह मौसम पूर्वानुमान भारत के बदलते मौसम की ओर संकेत कर रहा है। भारत अपने क्षेत्र को पुनः वापिस लेने के लिए संकल्पित है और यह मौसम पूर्वानुमान उस संकल्प को और दृढ़ कर रहा है।
2020-06-02
- बाबूराव विष्णु पराड़कर
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