हॉलीवुड का सांस्कृतिक-मायालोक
भारत की सांस्कृतिक धरोहर कैलाश मन्दिर पर हाल ही में अमेरिका के हिस्ट्री चैनल ने एक एपिसोड बनाया था। पूरे एपिसोड में वे हैरत में थे कि किसी मनुष्य द्वारा ऐसी कारीगरी कैसे संभव है,जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। एपिसोड में बताया गया कि भारत में चमत्कारी मशीनें हुआ करती थी, जिन्होंने इसे बनाया। भारतीय वास्तुकला और वैदिक विज्ञान को श्रेय देने की बजाय, स्वयं की संतुष्टि के लिए डायरेक्टर्स ने एलोरा की गुफाओं को एलियन की कारीगरी करार दे दिया। यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका भारत के खिलाफ इस तरह का मिथक गढ़ रहा हो। हिस्ट्री चैनल की “एनसेन्ट एलियन” नामक टेलीविजन सीरीज में भारत की प्राचीन धरोहरों को लेकर कई एपिसोड हैं, जो यह साबित करने में लगे हैं कि यह सब एलियन्स का करा-धरा है।
अमेरिका पोषित फिल्में, टेलीविजन-एपिसोड, वेब-सीरीज, अन्य जगहों की सांस्कृतिक विरासतों को लेकर अपने हितानुसार नए आख्यान गढ़ रही हैं और पश्चिमी संस्कृति को, सोच को, पहनावे को अन्य देशों समेत भारत पर भी थोपने का काम कर रही हैं। यह जिम्मा खासतौर पर हॉलीवुड के कंधे पर है। हॉलीवुड अमेरिकी विचारों को प्रेषित करने का सॉफ्ट टूल है, इस प्रक्रिया को हॉलीवुडाइजेशन कहा जाता है। जिसमें हॉलीवुड सम्पूर्ण एशिया में फिल्म उद्योग को प्रभावित करता है ताकि प्रोडक्शन शैली, ड्रेसिंग, यहां तक कि हॉलीवुड के नाम की नकल कर सके। भारतीय सिनेमा का हॉलीवुड चलनइसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है। यही वुड भारतीय मूल्यों, सिद्धांतो को ताक पर रखकर भारतीय फिल्मों को पश्चिमी संस्कृति के सांचे में ढालने में सफल भी हो रहा है।
पिछले कुछ सालों से भारत में हॉलीवुड फिल्मों का दब-दबा बढ़ा है। चीन के बाद भारत अमेरिकी फिल्म और मनोरंजन उद्योग के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार बना है। आंकड़ों के अनुसार पिछले साल हॉलीवुड फिल्मों ने भारत में तकरीबन 1220 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की है जो हॉलीवुड की भारत में अब तक की सबसे ज्यादा कमाई है। भारत में हॉलीवुड फिल्मों के प्रभाव को बढाने के लिए हॉलीवुड स्टूडियोज अपनी फिल्मों का हिन्दी भाषा समेत अन्य भारतीय भाषाओं में डबिंग के लिए, मार्केटिंग के लिए व्यापक स्तर पर पैसा खर्च कर रहे हैं। इसका हालिया उदाहरण स्पाइडर मैन होमकमिंग फिल्म है, जो हिन्दी समेत अन्य नौ भारतीय भाषाओं में डब की गई थी।
हॉलीवुड किस तरह भारत को निशाने पर रखकर फिल्में बनाता है इसका एक उदाहरण बहुचर्चित हॉलीवुड फिल्म अवतार है। अवतार जोकि भारतीय अवधारणा है, उसे एलियन्स से जोड़ा गया है। अमेरिका भारत के चित्रण के प्रति बहुत असंवेदनशील रहा है। हॉलीवुड और अमेरिकन टीवी शो में भारत को गरीब, पिछड़ा, सपेरों की भूमि के रूप में दिखाता है। द 100 फुट जर्नी, स्लमडॉग मिलियनेयर, लाइफ ऑफ पाई और द मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइसेस जैसी लोकप्रिय हॉलीवुड फिल्में भारत को नकारात्मक रूप में दिखाती है। इन फिल्मों में भारतीय पात्रों को गरीब और रहस्यमयी रूप में दिखाया गया है। इंडियाना जोन्स में एक भारतीय पात्र को इतना नकारात्मक रूप से दिखाया गया कि भारत सरकार को इसकी शूटिंग पर प्रतिबंध लगाना पड़ा।
हॉलीवुड ने न केवल पश्चिमी संस्कृति बल्कि आर्थिकी थोपने का भी काम किया है। हॉलीवुड स्टूडियो, फिल्म-टीवी, और वेबसीरीज के रूप में विभिन्न देशों के विभिन्न बाजारों में स्थानीय मनोरंजन के एक बड़े हिस्से पर कब्जा जमाने के लिए, अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए प्रयासरत रहते हैं। उदाहरणस्वरूप भारत में नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म का दबदबा होना। और फिर यही ओटीटी प्लेटफॉर्म अपराध और अश्लीलता से भरी भारत विरोधी, सनातन संस्कृति विरोधी लैला जैसी वेबसीरीज को बढ़ावा देती है।
बॉलीवुड की अधिकांश फिल्में भारतीय मूल्यों और संस्कृति को हॉलीवुड की तर्ज पर ताक पर रखती है। शुरूआती दौर में जो फिल्में भारत की संस्कृति, समाज, परिवार, देश का प्रतिबिंब हुआ करती थी, वही फिल्में आज भारत को लीलने में लगी हैं। पुराने दौर की फिल्मों में जहां प्रेम में पवित्रता झलकती थी, हॉलीवुडाइजेशन के परिणामस्वरूप आज प्रोग्रेसिव के नाम पर प्रेम में अश्लीलता दिखाई पड़ती है।
आधुनिकता के नाम पर हॉलीवुड, सांस्कृतिक साम्राज्यवाद का परिचायक है। जो भारतीय संस्कृति को विकृत करने में लगा है। भारतीय मूल्यों में पश्चिमी विचारधारा, राजनीतिक मान्यताएं, पश्चिमी विज्ञान, पश्चिमी नैतिक अवधारणाएं, प्रतीक और आदर्श, पश्चिमी कामकाज के तरीके, पश्चिमी खान-पान, पश्चिमी गीत-नृत्य, मानव अस्तित्व की पश्चिमी अवधारणा की घुसपैठ में अमेरिकी फिल्मों का बड़ा योगदान है। उदाहरण के तौर पर हॉलीवुड फिल्मों को देख-देखकर हमारा खान-पान भी अमेरिकी हो गया है। बात फिर बिहार के लिट्टी-चोखा की हो, उत्तराखण्ड के कोदे की रोटी, या कलकत्ता के रसगुल्ले की, सब पर मैक्डोनल्डस, केएफसी और पिज्जा जैसे ग्लोबल ब्रांड ही हावी हैं।
हॉलीवुड फिल्में देखकर लोग अमेरिका को एक आदर्श समाज के रूप में देखने लगे हैं, जहां अच्छाई हमेशा बुराई पर हावी रहती है। जबकि सच्चाई यही है कि हॉलीवुड एक ही विचारधारा को स्थापित करने में लगा है। विविधताओं को खत्म कर एक ही जीवनशैली बनाने में लगा है। अमेरिकी संस्कृति को वैश्विक संस्कृति बनाने में लगा हुआ है, गैर-अमेरिकियों का अमेरिकीकरण करने में लगा हुआ है। जिसमें हॉलीवुड काफी हद तक सफल भी रहा है।