डीप-टेक तकनीक को बजटीय कवच
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आपसी स्पर्धा और संघर्ष बढ़ते जा रहे हैं। सूचना और तकनीकी के विभिन्न उपकरणों ने इन संघर्षों को गहरे तक प्रभावित किया है। रूस-यूक्रेन और इजरायल-गाजा संघर्ष में सैन्य अभियानों के साथ-साथ सूचना और प्रौद्योगिकी के हस्तक्षेप का अध्ययन कर इसे आसानी से समझा जा सकता है। इन द्विपक्षीय युद्धों में सैन्य अभियानों के साथ-साथ कई अन्य मोर्चों पर भी युद्ध लड़ा जा रहा है। सूचना और तकनीकी का इन हाइब्रिड युद्धों में एक मारक उपकरण के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। भारत के समक्ष भी हाइब्रिड वॉरफेयर के खतरे कम नहीं रहे हैं। ऐसे में रक्षा क्षेत्र में डीप-टेक तकनीक को प्रोत्साहित करते हुए केन्द्र सरकार ने अपने 2024-25 के अन्तरिम बजट में हाइब्रिड वॉरफेयर के खिलाफ अपनी तैयारियों को संबल प्रदान किया है।
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और चीन लम्बे समय से भारत के खिलाफ हाइब्रिड वॉरफेयर की रणनीति बनाकर हमारे रक्षा तन्त्र में सेंधमारी करते रहे हैं। चूंकि हाइब्रिड वॉरफेयर में परम्परागत युद्ध की तरह कोई निश्चित युद्ध भूमि नहीं होती और न ही दोनों पक्षों की सेनाएं एक-दूसरे के खिलाफ युद्ध के मैदान में एक-दूसरे के सामने होती हैं। वर्चुअल स्पेस का उपयोग कर हर नागरिक हाइब्रिड वॉरफेयर में सैनिक बनकर विरोधी पक्ष पर निरन्तर हमलावर रहता है। अतः भारत से घृणा का भाव रखने वाले कई यूरोपीय एवं अन्य देश भी भारत के खिलाफ गलत, भ्रामक और घृणास्पद सूचनाएं प्रसारित कर हाइब्रिड वॉरफेयर के मोर्चे पर डटे हुए हैं। भारत के रक्षा विशेषज्ञ समय-समय पर इन खतरों के बारे में आगाह करते रहे हैं। प्रखर सैन्य रणनीतिकार और भारत के पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने इस संकट को रेखांकित करते हुए लिखा था, “भविष्य के संघर्ष युद्धभूमि में पहले की अपेक्षा और अधिक तीव्रता के साथ तथा निर्बाध एवं अविराम लड़े जाएंगे। इस कारण ये और भी अधिक हिंसक रूप धारण कर लेंगे और इनसे सम्बन्धित कोई भी पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकेगा। भविष्य में पारम्परिक संघर्षों में भी एक बड़ा असंगत घटक सम्मिलित होने की प्रबल सम्भावना है, जिससे हाईब्रिड युद्ध का मार्ग प्रशस्त होगा। प्रौद्योगिकी भविष्य के युद्धों का प्रमुख चालक बन गई है।” इस प्रकार हाइब्रिड वॉरफेयर देश के रक्षा तन्त्र के समक्ष एक बड़ा खतरा बनकर सामने आया है।
हाइब्रिड वॉरफेयर एक जटिल अवधारणा है। अटलांटिक एलायंस के युद्ध योजनाकारों ने हाइब्रिड वॉरफेयर को समझाते हुए लिखा है, हाइब्रिड युद्ध दुश्मन की सुरक्षा को दो मोर्चों पर मिलकर कम कर देता है। सबसे पहले, क्षमता के मोर्चे पर। इसमें साइबर हमले के जरिए राजनीतिक, सैन्य, आर्थिक, सामाजिक, सूचना और बुनियादी ढांचे (पीएमईएसआईआई) के क्षेत्र में दुश्मन की कमजोरियों का फायदा उठाया जाता है। दूसरे मोर्चे पर, देश के सिस्टम को वहां की संस्थाओं और लोगों के बीच विश्वास को खत्म करने के लिए लक्षित किया जाता है। नतीजन दुश्मन देश अपनी वैधता और कार्य करनी की क्षमता दोनों को खो देता है।
केन्द्र सरकार ने सीमाओं पर गहराती चुनौतियों के साथ भू-राजनीतिक परिदृश्य के मौजूदा बदलते हालातों के मद्देनजर रक्षा बजट खर्च में पिछले साल की तुलना में करीब 27000 करोड़ रूपए की बढ़ोतरी की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अन्तरिम बजट में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता एवं निर्यात को बढ़ावा देने के दोहरे उद्देश्य के वर्ष 2024-25 में रक्षा बजट को पिछले साल के 5.94 लाख करोड़ से बढ़ाकर 6.21 लाख करोड़ रुपए करने की घोषणा की है। यह आबंटन कुल केन्द्रीय बजट का 13.04 प्रतिशत है।
केन्द्र सरकार ने रक्षा तन्त्र को विकसित करने के लिए डीप-टेक तकनीक के पक्ष में वातावरण तैयार करने की एक महत्वपूर्ण पहल की है। इसे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का एक सशक्त हस्ताक्षर माना जा रहा है। हालांकि योजना का स्वरूप अभी सामने नहीं रखा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजटीय भाषण में कहा कि डीप टेक स्टार्टअप या टेक स्टार्टअप के लिए 1 लाख करोड़ रुपये दिए जाएंगे जो कि या ब्याज मुक्त या फिर बहुत ही कम ब्याज दर पर दिए जाएंगे। डीप टेक स्टार्टअप एक बहुत ही जटिल टेक्नोलॉजी पर काम करते हैं। डीप टेक को एडवांस टेक्नोलॉजी भी कहा जाता है। डीप टेक में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कम्प्यूटिंग, ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। एआई ड्रोन, एआई रोबोटो भी डीप टेक के ही उदाहरण हैं। हाइब्रिड वॉरफेयर में इन सभी क्षेत्रों का एक मजबूत दखल है।
हाइब्रिड वॉरफेयर के संकट को ध्यान में रखते हुए और उनसे निपटने के मद्देनजर भारत सरकार डीप टेक को प्रोत्साहन देने की दिशा में निरन्तर प्रयासरत हैं। नैस्कॉम-जिनोव की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार भारत के डीपटेक इकोसिस्टम में 3,000 से अधिक स्टार्टअप हैं। इनमें से 1900 आर्टिफिशल इटेलिजेंस (एआई) कम्पनियां, बिग डाटा व विश्लेषण की 570 और रोबोटिक के 60, ड्रोन के 60, साइबर सुरक्षा से जुड़े 40 और अन्तरिक्ष व सैटेलाइट तकनीक से सम्बन्धित 10 स्टार्टअप हैं। केन्द्र सरकार के बजट में डीप-टेक तकनीक को प्रोत्साहन देने के फैसले से हाइब्रिड वॉरफेयर के मोर्चे पर तैयारियों को निश्चित तौर पर मजबूती मिलेगी।