व्यंग्य

पत्रकारिता में तौबा-तौबा का मुकाम

इसे पत्रकारिता के प्रति जुनून कहें या खबरों की दुनिया में बनें रहने का हुनर, कुछ पत्रकार ऐसी हरकतें कर जाते हैं, जो उन्हें चर्चा में ला ही देता है। इतना ही नही, वो अपनी मनोरंजक हरकतों की वजह से खुद एक खबर बन जाते हैं। ऐसे पत्रकारों की वीडियो सोशल मीडिया में अक्सर वायरल होते रहते हैं। हालांकि ये लोग न तो डिजाइनर पत्रकारों की श्रेणी में आते हैं और न ही इन्हें लोग गोदी पत्रकारों की सूची में गिनता है। वैसे इस तरह के करिश्माई कलाकार थोड़ी-बहुत मात्रा में हर द्वीप पर पाये जाते हैं लेकिन पाकिस्तान में इनकी संख्या बहुतायत है। इनकी 'अनोखी' रिपोर्टिंग का नमूना देखकर कोई भी शख्स 'माशा अल्लाह' कहने से खुद को रोक नहीं पाता है। ये पत्रकार कभी गधे की पीठ पर बैठकर रिपोर्टिंग करते नजर आते हैं तो कभी बाढ़ की रिपोर्टिंग के लिए खुद तेज बहाव वाले पानी में उतर जाते हैं। इतना ही नहीं कभी-कभी तो ये लोग न्यूज रूम को वॉर रूम में तब्दील कर टमाटर के लिए अपनी आवाम से तौबा-तौबा तक करवाते हैं। पत्रकारिता में ऐसा ही एक नमूना पिछले महीने पाकिस्तान के एक टीवी चैनल पर देखने को मिला। जहां एक सीनियर रिपोर्टर कैसर खोखर न्यूज रूम में इतना अधिक भावुक हो गए कि तौबा-तौबा करने लगे। एक पीटीसी के दौरान उन्होंने कम से कम 20 बार अपने कान पकड़कर तौबा-तौबा की। दरअसल, वह मोदी सरकार से नाराज थे। उन्हें सबसे अधिक नाराजगी इस बात की थी कि भारत ने पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान में निर्यात होने वाले टमाटर पर रोक लगाकर बहुत भारी गलती कर दी है। उनका कहना था कि, 'भारत को टमाटर का जवाब एटम बम से दिया जायेगा। पाकिस्तान के पास एटम बम है और इसको ड्राइंग रुम में सजाने के लिए नहीं रखा है। इसका इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ भारत के खिलाफ किया जाएगा।' पत्रकार का गुस्सा सिर्फ इतने पर ही शांत नहीं हुआ। वो भारत को चेतावनी देते हुए कहता है कि भारत को लगता है कि पाकिस्तान बिना टमाटर के जी नहीं सकता है तो यह उसकी गलतफहमी है। पाकिस्तान आने वाले दिनों में खुद का टमाटर उगाएगा। जिस तरीके से आज हमारे मुल्क से भारत वाले जल रहे हैं, सड़ रहे हैं, उसी तरह उनका टमाटर भी सड़ेगा। अब समय आ गया है कि भारत के टमाटर का जवाब एटम बम से दिया जाए। हालांकि यह पत्रकार जब भारत के खिलाफ टमाटर के लिए आक्रोश जता रहा था तो उसके दफ्तर में मौजूद उसके साथी हंसते-मुस्कराते हुए दिखाई दे रहे थे। यहां तक तो ठीक था लेकिन जैसे ही इनका जज्बात थोड़ा और जोर मारना शुरू किया तो ये जनाब न्यूज रूम से बाहर निकलकर सीधे भारत-पाकिस्तान सीमा पर पहुंचकर ललकारने लगे। सेना की वेश-भूषा धारण कर यहां भी इन्होंने जमकर तौबा-तौबा की। वैसे सोशल मीडिया पर यह वीडियो आने के बाद एक भारतीय ने इस पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि 'यह पाकिस्तान की साज़िश है। इन्होंने जान-बूझकर ऐसे एंकर रखे हैं ताकि भारत मे 'कपिल शर्मा' और 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' की टीआरपी गिरा सके। वहीं एक अन्य सोशल मीडिया एक्टविस्ट ने लिखा है कि टमाटर पर बिलबिलाने वाली इस रिपोर्टिंग को देखकर मैं इनसे निवेदन करुंगा कि जनाब, जितनी जल्दी हो सके इस पत्रकारिता से तौबा-तौबा कर लें। इससे इतर भारत में भी कुछ सेलेक्टिव पत्रकार हैं जो इन दिनों अपनी कुंठा के कारण 'तौबा-तौबा' के मुकाम पर पहुंच गये हैं। उनकी कुंठा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कभी ये टीवी स्क्रिन काली करके न्यूज पढ़ते हैं तो कभी अपना चेहरा ही काला करके न्यूज पढ़ने लग जाते हैं। भले ही सत्ता के विरोध में इनके चेहरे चुस्से हुए आम की तरह हो गये हों लेकिन आम जैसे मौसमी फल पर भी एक घंटे का प्राइम टाइम शो करने की क्षमता आज भी बरकरार रखे हुए हैं। इससे इतर कुछ ऐसे पत्रकारिता के 'अभिशाप' भी हैं जो किसानों के हितैषी बनने का ढोंग रचने में इतने मसगूल हो जाते हैं कि इन्हें धान और गेंहू के खेत तक पता नहीं चल पाता है। जबकि एक पत्रकारिता के तथाकथित पुरोधा जो इन दिनों सिर्फ 'दुआ' में याद हैं, उनकी पत्रकारिता तो पूछिये मत। इस सूची में एक और क्रांतिकारी पत्रकार हैं जो अपने सेलेक्टिव साक्षात्कार से भी क्रांति लाने की क्षमता रखते हैं। ये अलग-अलग महीनों में अलग-अलग चैनलों पर देखे जाते हैं। फिलहाल इनकी क्रांतिकारी पत्रकारिता से सब लोग हिले हुए हैं, ऐसा इनका दावा है। वैसे अब इन पत्रकारों की हरकतों से खुद इनके प्रसंशक इन्हें तौबा-तौबा के मुकाम तक पहुंचा रहे हैं।