लक्ष्य


संवाद की भारतीय अवधारणा को व्यावहारिक धरातल पर उतारना संवादसेतु का लक्ष्य है। सत्य को जब सम्यक अभिव्यक्ति मिल जाती है तो वह लोकमंगल का विधान बन जाता है।
भारतीयता की यह कसौटी जीवन-व्यापार के सभी क्षेत्रों में लागू होती है, लेकिन संचार और मीडिया के क्षेत्र में इसका महत्व और भी अधिक है। यह क्षेत्र ही सत्याग्रह का है। सत्य से परिचित कराने का उद्यम ही इस क्षेत्र में किया जाता है। इसलिए यहां सत्य की उपेक्षा, सत्यान्वेषण में प्रमाद की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस क्षेत्र में सत्यान्वेषण और सत्याग्रह मूल्य भी हैं और दायित्व भी।
एक ऐसे समय में जब संचार-पारिस्थितिकी अर्द्धसत्य, विकृत सत्य और असत्य से आक्रांत है,

संवादसेतु ’सत्यं वद्, धर्मं चर’ के महावाक्य की भावना को सूचना-प्रवाह में स्थापित करने का प्रयास है। जब सूचनाएं पाथेय बनने की बजाय दिग्भ्रमित करने का कार्य कर रही हैं, “संवादसेतु” का प्रयास सत्य को सम्यक और समग्र तरीके से कहने का है। जब भारतीय मान्यताएं-धारणाएं-परम्पराएं विजातीय कसौटियों पर कसे जाने को अभिशप्त हों, “संवादसेतु” एक छोटी किन्तु समर्पित पत्रकारों की टोली द्वारा भारतीय-परिप्रेक्ष्य और आख्यान गढ़ने का अभिनव प्रयास है।