समाचार संक्षेप

तकनीकी संवाद से मतदाता का मूड भांप रही सर्वे एंजेसियां

देश में आम चुनाव के पहले चरण के मतदान से पहले ही सर्वे एजेंसियां मतदाताओं का मूड जानने के लिए पूरी तरह सक्रिय हो गई हैं। ग्राउंड जीरो पर जाकर सर्वे करने की पुरानी तकनीक को पीछे छोड़ अब नए तकनीकी माध्यमों से मतदाताओं से सीधे संवाद के जरिये सर्वे एजेसियां सर्वेक्षण कार्य कर रही हैं। वहीं, सर्वेक्षण एजेंसियां सोशल मीडिया सहित मोबाइल पर सीधे कॉल कर जनता का मूड भांप रही हैं। ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं के मोबाइल नंबरों पर सीधे कॉल आने से मतदाता भी सकते में हैं। उदाहरण के तौर पर हम देखें, तो हिमाचल में अभी अंतिम अर्थात सातवें चरण में मतदान होना है। इसके लिए अभी काफी समय होने के बावजूद अभी से मतदाताओं से सर्वे कर एजेंसियां राह ले रही है। 

इसी तर्ज पर पूरे दिन में मुख्य सीटों पर जहां चर्चित या कोई बॉलीवुड स्टार उम्मीदवार हैं, वहां सर्वे एंजेसियों का विशेष फोकस कर रही हैं। वहां के मतदाताआंें को दो-दो कॉल कर रही हैं। इसके अलावा ग्राउंड जीरो पर रिपोर्ट करने या सर्वे करने वाली एंजेसियों की रिपोर्ट को आने के लिए हालांकि समय लगेगा, लेकिन तकनीक के माध्यम से सर्वे करने वाली सर्वे एजंेसियां मतदान से पूर्व की कई बार रिपोर्ट सार्वजनिक कर देती हैं। वहीं, दूसरी ओर चुनाव आयोग ने भी मतदान से पूर्व सर्वे की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए अनेक प्रकार के नियम तय किए हैं, जिसका सभी सर्वे एंजेसियों को पालन करना अनिवार्य है, अन्यथा ऐसी एजेंसियों पर कार्रवाई भी हो सकती है।

युद्धरत रूस और युक्रेन पर हुए सबसे अधिक साइबर हमले

पिछले लम्बे समय से युद्ध में उलझे रूस और युक्रेन पर दुनिया के अन्य सभी देशों की तुलना में सबसे अधिक साइबर हमले हुए हैं। दुनिया भर के साइबर अपराध विशेषज्ञों की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्‍यादा साइबर हमले रूस में हुए। इसके बाद यूक्रेन का नंबर आता है। इस रिपोर्ट के आकलनों के आधार पर यह आशंका उभरकर सामने आई है कि युद्धरत दोनों देश और उनके सहयोगियों की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ साइबर हमलों को अंजाम देकर हाईब्रिड वॉरफेयर को अंजाम दिया जा रहा है। इस सूची में भारत 10वें स्थान पर है। भारत में साइबर क्राइम के मामलों में हर साल इजाफा हो रहा है। इस रिपोर्ट में रैंसमवेयर, क्रेडिट कार्ड चोरी सहित साइबर अपराध की विभिन्न श्रेणियों के अनुसार लगभग 100 देशों को रैंकिंग दी गई है। इस सूची में तीसरे स्थान पर चीन है। इसके बाद अमेरिका, नाइजीरिया और रोमानिया हैं। पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, उत्तर कोरिया सातवें, ब्रिटेन आठवें और ब्राजील नौवें स्थान पर है। साइबर अपराध की जिन प्रमुख श्रेणियों की पहचान की गई है उनमें रैन्समवेयर सहित जबरन वसूली, हैकिंग, क्रेडिट कार्ड सहित डाटा की चोरी, अग्रिम शुल्क धोखाधड़ी, मनी लांड्रिंग शामिल हैं। लोगों को पहले भुगतान (एडवांस) के लिए कहकर सबसे अधिक ठगी की जाती है। ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अध्ययन के सह-लेखक मिरांडा ब्रूस ने कहा, अब हमें साइबर अपराध के भूगोल की गहरी समझ है। ब्रूस ने कहा कि गहन तीन साल लंबा शोध साइबर आपराधिक अपराधियों के आसपास गुमनामी के पर्दे को हटाने में मदद करेगा और हमें उम्मीद है कि यह लाभ संचालित साइबर अपराध के बढ़ते खतरे के खिलाफ लड़ाई में मदद करेगा।

वॉयस संदेश से प्रचार करने पर भी रहेगी चुनाव आयोग की निगरानी

चुनाव आयोग ने राजनैतिक दलों के प्रचार के हर माध्यम पर कड़ी नजर बनाई है। अब प्रत्याशियों को लोकसभा चुनाव में बल्क एसएमएस, वॉयस संदेश, सिनेमा हॉल, एलईडी, निजी एफएम रेडियो पर विज्ञापन चलाने से पहले प्रमाणीकरण करवाना होगा,जिसके लिए निवार्चन अधिकारी से अनुमति होगी।  बिना प्रमाणीकरण चलाए जाने वाले विज्ञापन उम्मीदवार के खर्चे में जोड़े जाएंगे। चुनाव आयोग की ओर से इसके लिए बकायदा कार्ड रेट भी तय कर दिए हैं।

इस बारे चुनाव आयोग ने सभी निर्वाचन अधिकारियों को जिला व उपमंडल स्तर पर कार्यशालाएं भी आयोजित की जा रही है। कार्यशाला में आदर्श आचार संहिता के दौरान पेड न्यूज, फेक न्यूज, मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति की कार्यप्रणाली, सोशल मीडिया से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में चुनावी विज्ञापनों के पूर्व प्रमाणन संबंध में भी जानकारी साझा की गई।

सोशल मीडिया व ई-पेपर को भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दायरे में रखा गया है। चुनावी विज्ञापन से संबंधित सामग्री के प्रसारण से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विज्ञापनों का पूर्व प्रमाणीकरण कर लिया गया है। विभिन्न समाचार पत्रों में केवल मतदान के दिन, बल्कि एक दिन पहले भी राजनीतिक विज्ञापन जारी करने के लिए पूर्व आवश्यक है। चुनावों के दौरान कोई भी जानकारी प्रसारित करने से पूर्व उसकी सत्यता अवश्य जांच लें। इस प्रकार की पहल से प्रत्याशियों को भी एक तय सीमा में ही प्रचार माध्यमों का उपयोग करना होगा।

फर्जी खबरों के खिलाफ मतदाता को सजग करेगा चुनाव आयोग का ‘मिथ वर्सेस रियलिटी’ प्लेटफार्म

सोशल मीडिया पर तेजी से प्रसारित होने वाली फर्जी खबरों पर रोक लगाने के लिए पहली बार चुनाव आयोग ने मिथ वर्सेस रियलिटी प्लेटफार्म लॉन्च किया है। चुनाव आयोग की वेबसाइट के माध्यम से यह प्लेटफॉर्म आम लोगों के लिए भी उपलब्ध रहेगा। पोर्टल पर इससे संबंधित रजिस्टर को लगातार अपडेट किया जाएगा, जिसमें पड़ताल की गई झूठी जानकारियां और नए सवाल-जवाब भी होंगे। चुनाव आयोग का दावा है कि इससे लोकसभा चुनाव के दौरान फर्जी खबरों के प्रसारण को रोकने में मदद मिलेगी।

हाल ही में कुछ अहम रिपोर्टों में खुलासा हुआ है कि लोकसभा चुनावों में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए कुछ फर्जी खबरों को जानबूझकर प्रसारित किया जा सकता है। एआई जैसी आधुनिक तकनीक से फेक कंटेट क्रिएट करने का यह खतरा और भी बढ़ गया है। ऐसे में आयोग का इस दौरान सबसे अधिक फोकस सोशल मीडिया पर फैलाए जाने वाले झूठ को चिन्हित करने पर है। आयोग का मानना है कि इससे चुनाव की साख प्रभावित होती है। साथ ही चुनावी प्रक्रिया पर लोगों के भरोसे को भी कमजोर कर रही है।

पोर्टल लॉन्च करने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए बताया कि चुनावों को विश्वसनीय ढंग से आयोजित करवाने की दिशा में धनबल, बाहुबल और आदर्श चुनाव संहिता के उल्लंघन के साथ-साथ गलत सूचना को एक बड़ी चुनौती के रूप में चिन्हित किया गया है। विश्व स्तर पर कई लोकतंत्रों में गलत सूचना और झूठे विमर्शों के प्रसार के बढ़ती चिंता के बीच भारतीय चुनाव आयोग ने यह अभिनव और सक्रिय पहल की है।

बॉक्स ऑफिस पर नहीं दहाड़ पाई शमशेरा

यशराज फिल्म्स की बहुप्रतिक्षित और बहुप्रचारित फिल्म शमशेरा की बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिर गई है। 150 करोड़ के मेगा बजट में बनी यह फिल्म अपने शुरुआती दो दिनों में मात्र 20 करोड़ रूपए की कमाई कर सकी है। एडवांस बुकिंग की स्थिति भी यही बताती है कि आगे आने वाले दिनों में भी फिल्म की कमाई में कोई बहुत बड़ा उछाल नहीं आने वाला है।
यशराज फिल्म्स शमशेरा तकनीकी दृष्टि से एक सक्षम फिल्म है लेकिन बॉलीवुड का बासीपन इस फिल्म पर भारी पड़ गया है। कई संदेशों को साधने के चक्कर में यह फिल्म भानुमति का पिटारा बन गई है।  फिल्मी समीक्षकों ने भी इस फिल्म को लेकर अपनी निराशा ही जाहिर की है।
रणबीर कपूर और संजय दत्त के स्टारडम से सजी यह फिल्म इस बात की तस्दीक कर रही है कि बॉलीवुड को अपनी कहानियों और पूर्वाग्रहों को लेकर अधिक सजग होने की जरूरत है। बॉलीवुड की स्टारडम और बड़े बजट की फिल्मों का लगातार असफल होना यह बता रहा है कि वह दर्शको का मूड पढ़ने में बुरी तरह विफल साबित हो रहा है और उसे दर्शकों का मूड समझने के लिए नए सिरे से कार्य करने की जरूरत है।  

बॉयकॉट ट्रेंड के बीच कार्तिकेय 2 सुखद विकल्प बनकर आई है

सोशल मीडिया पर लाल सिंह चड्ढा और रक्षाबंधन फिल्मों का अलग-अलग कारणों से बॉयकॉट करने का अभियान चल रहा है। अभियान इतना प्रभावशाली है कि आमिर खान को सफाई देनी पड़ी। लेकिन बॉयकॉट करने वाले भी जानते हैं कि बॉयकॉट करने  भारत में 15 अगस्त के आस-पास दर्शकों की बड़ी संख्या फिल्म देखने जाते ही हैं और इस 15 अगस्त को दर्शक इन्हीं दो फिल्मों से कोई एक फिल्म देखेंगे। ऐसे में कार्तिकेय 2 की टीम ने इस फिल्म को 13 अगस्त को रिलीज करने की घोषणा करके दर्शकों को देखने के लिए एक अच्छा विकल्प दे दिया है। अब लाल सिंह चड्ढा और रक्षाबंधन को बायकाट के साथ तकनीकी और कहानी की दृष्टि से एक सक्षम फिल्म का सामना करना पड़ेगा। 
फिल्म द्वारका की कहानी बहुत सृजनात्मक तरीके से कही गई है। इस फिल्म के #KrishnaisTruth हैशटैग का प्रयोग किया गया है। इसका मतलब साफ है कि यह भारतीय इतिहास को नए सिरे से समझने की कोशिश है। अपनी पहचान को लेकर निरंतर सजग हो रहे भारतीय दर्शकों को यह फिल्म जरूर पसंद आएगी, ऐसा माना जा सकता है। 
कार्तिकेय 2 फिल्म का प्रमोशन भी बहुत सावधानीपूर्वक किया जा रहा है। अभिनेता निखिल सिद्धार्थ ने फिल्म का टीजर वृंदावन के इस्कॉन मंदिर में रिलीज किया और यह भी कहा कि फिल्म के नायक वह नहीं बल्कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं हैं। फिल्म की कहानी और उसके प्रमोशन का तरीका अपना संदेश स्पष्ट तरीके से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में लाल सिंह चड्ढा और रक्षाबंधन की चुनौतियां निश्चित तौर पर बढ़ने वाली है। इस फिल्म से जुड़ी एक उल्लेखनीय बात यह भी कि इसके प्रोड्यूसर भी द कश्मीर फाइल्स के प्रोड्यूसर रहे अभिषेक अग्रवाल हैं। 
 

देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है हायब्रिड वार

पिछले पचास सालों में भारत ने प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति की है। भारत के प्रतिस्पर्धी देशों को भी अब लगने लगा है कि परम्परागत युद्ध में भारत को पराजित नहीं किया जा सकता। इसीलिए अब भारत को अस्थिर करने और उसके मनोबल को तोड़ने के लिए शत्रुदेश हायब्रिड वारफेयर का सहारा ले रहे है। इसलिए नए उभरते भारत के समक्ष हायब्रिड वार सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। हायब्रिड वारफेयर में सूचना और संचार क्षेत्र की केन्द्रीय भूमिका होती है। ये बातें  प्रसिद्ध सैन्य-विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी ने हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कश्मीर अध्ययन केन्द्र की तरफ से आयोजित व्याख्यान में बोलते हुए कही। वह ’स्वतंत्रता के बाद की सुरक्षा चुनौतियां और भविष्य के परिदृश्य’ विषय पर बोल रहे थे।
सियाचीन ग्लेसियर को आधिपत्य में लेने के अभियान का नेतृत्व कर चुके लेफ्टिनेंट कुलकर्णी ने कहा कि हायब्रिड वार में सायबर, सूचना और अर्थव्यवस्था को हथियार बनाकर दुश्मन पर हमला किया जाता है। हायब्रिड वारफेयर के कारण किसी भी देश में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है और व्यक्ति अपने ही देश की सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाने लगता है। इस स्थिति में देश अराजकता का शिकार हो जाता है और उसकी प्रगति बाधित हो जाती है।
उन्होंने कहा कि हायब्रिड वारफेयर में केवल सैनिक ही लड़ाई लड़ता। प्रत्येक नागरिक इस युद्ध में भाग लेता है। आजादी के अमृत के दौरान भारत के प्र्रत्येक नागरिक को शपथ लेनी चाहिए कि वह अपनी भारतीय पहचान को सर्वोपरि रखे और पहचान के आपसी संघर्षाें से बचे। यदि प्रत्येक नागरिक ऐसा करता है तो आजादी का अमृत महोत्सव मनाना सफल होगा।